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Process of Public Relations | Tools of Public Relations

Process of Public Relations, Tools of Public Relations, Need and Scope of Public Relations


Process of Public Relations |  Tools of Public Relations
Process of Public Relations |  Tools of Public Relations




Tools of Public Relations

जनसम्पर्क आरम्भ से ही सम्पर्क अधिकारी बनाने का एक सशक्त माध्यम रहा है इसके द्वारा किसी भी संगठन, संस्था, राजनैतिक पार्टियां इत्यादि में जनसम्पर्क द्वारा अपने उद्देश्य को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। विज्ञापन की भांति जनसम्पर्क भी एक ऐसा साधन है जो अपने प्रभाव के कारण सीधे जनसाधारण को अपने साथ जोडता है । इस अभियान के लिए जनसम्पर्क प्रक्रिया के साथ अनेक उपयोगी एवं सार्थक जिसका अपना अलग-अलग महत्व है। उपयोग एव रूचि के आधार पर जनसम्पर्क के विभिन्न साधनों का उपयोग भिन्न-भिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है जो कि इस प्रकार है।

1. रेडियो
रेडिया जनसम्पर्क का प्रभावी साधन माना जाता है क्योंकि इसकी पहुच आम आदमी तक सर्वाधिक है।

2. टेलीविजन
रेडिया के बाद टेलीविजन जनसम्पर्क अभियान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसका अपना प्रभाव है।

3. वृतचित्र
4. सिनेमा
5. नाटक
6. सूचाग
7. कठपुतली
8. नुक्कड़ नाटक
9. रामलीला
10 रासलीला
11. नौटकी
12. तमाशा
13 पम्पलेट
14. ब्राउसर
15. होर्डिंग
16 इंटरनेट

Need and Scope of Public Relations आवश्यकता और श्रेत्र


आदिकाल से लेकर आधुनिकता के आरम्भ तक जनसम्पर्क की हमें किसी, ना किसी रूप में आवश्यकता पड़ती रही है। जनसम्पर्क वो शक्तिशाली माध्यम है जिसके द्वारा संपर्क करके एक दूसर के साथ सबंध स्थापित किए जाते हैं। आदि काल से ही जनसम्पर्क का उपयोग जनसाधारण के लिए प्रभावी संचार के रूप में किया जा रहा है । इसकी आवश्यकता समाज व विकास के लिए परम आवश्यक है चाहे वह स्वयं के लिए हो, समाज के लिए हो,  संस्था के लिए हो, परिवार के लिए हो अर्थात यदि हम समाज में एक दूसरे से मेल जोल जनसम्पर्क भाई-चारा नहीं रखेंगे तो हम समाज में एक-दूसरे के साथ सहभागितापूर्ण कोई भी कार्य सम्पन्न नही कर सकते जिस प्रकार मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार समाज में प्रतिष्ठा, सम्मान, अच्छे व्यवहार हेतु जनसम्पर्क की आवश्यकता होती है। कहने का मूल भाव यह है कि जनसम्पर्क हमारे जीवन व समाज की एक मूल-भूत आवश्यकता है।

प्रारम्भ में जनसम्पर्क मात्र अच्छे व्यवहार का सूचक माना जाता था जिसका हर काल चाहे वह रामायण काल हो या फिर राजा अशोक का। लेकिन समय परिवर्तन के साथ जनसम्पर्क ने एक व्यवसाय का रूप ही ग्रहण कर लिया है। आज हर संस्था, संगठन चाहे वो कोई भी क्षेत्र की हो लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसका स्थान गहरा होता जा रहा है जिसमें वर्तमान में अपने बड़े-बड़े क्षेत्रों के रूप में अपने आपको स्थापित कर लिया है।

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केंद्र सरकार स्तर पर P.R.

केंद्र सरकार में जनसम्पर्क विभाग का बहुत बड़ा महत्व है। सरकार ने जनसम्पर्क का एक बहुत बडा विस्तरित क्षेत्र है जिसके माध्यम से सरकार की हर नीति, विचार हर माध्यम द्वारा लोगों तक जनसम्पर्क द्वारा पहुंचाया जाता है। जिसमें जनसम्पर्क का मूल उद्देश्य सरकार की हर बात जनसाधारण तक पहंचाना होता है ताकि जनता सरकार के प्रति अच्छा व्यवहार करे।

PR setup in private and public sectors


जनसम्पर्क हमेशा से लोगों से सम्पर्क स्थापित करने का चमत्कारी माध्यम रहा है इसका उपयोग प्राचीन काल से चलता आ रहा है । सतयुग में भगवान राम ने अयोध्या नगरी में घुम-घुम कर सम्पर्क स्थापित किया था ताकि कोई व्यक्ति उस नगरी में दुखी न हो । इस प्रकार समय के साथ-साथ सम्राट अशोक, सम्राट अकबर इत्यादि महान विभुतियों ने जनसम्पर्क का पूरा-पूरा लाभ उठाया है। अंग्रेजों ने भी भारत के सत्ता छीन जाने के भय से भारतीय के बीच जन सम्पर्क अभियान प्रारम्भ किया ताकि लोग उनके विरोध ना करे। आजादी के पश्चात भारत सरकार ने इसके महत्त्व को समझा और जनसम्पर्क के रूप में एक बड़े विभाग का निर्माण किया जो सीधे जनसम्पर्क के द्वारा सरकार की नीतियों, उपलब्धियों, कार्यक्रम आम जनता तक जनसम्पर्क के माध्यम से पहुंचाने लगा। इनके द्वारा जनसम्पर्क किया जाता है ।

1. ऑल इंडिया रेडियो :-

आकाशवाणी सरकार का अतिमहत्वपूर्ण जनसम्पर्क माध्यम है जिसके द्वारा देश भर में हर भाषा में सरकार के कार्यक्रम नीतियां घर-घर तक पहुंचाई जाती है।

2. टेलीविजन

सरकार द्वारा 15 सितम्बर 1959 को टेलीविजन को स्थापित किया गया। ये भारत का एक लोकप्रिय एवं प्रभावी माध्यम है जिसे जनसम्पर्क का एक विस्तरित साधन माना गया। रेडियो की भांति टेलीविजन जनसम्पर्क का एक विशिष्ट एवं उपयोगी साधन है। उदाहरणतय नेताओं का लोगों से मिलना, रैली।

3. प्रैस इनफोनेशन ऑफ ब्यूरो

जनसम्पर्क के रूप में यह सरकार का प्रमुख संस्थान है पीआईबी। इसके दो विभाग हर सूचना को कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं।
1. प्रशासनिक विभाग।
2. प्रैस प्रचार कार्यालय ।

3. विज्ञापन एवं दृश्य विभाग

भारत सरकार का विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार विभाग सरकार के विभिन्न माध्यमो द्वारा सरकारी योजनाएं नीतियां को हर भाषा, संस्कृति में प्रस्तुत करता है इसमे चित्र, पुस्तके, दृश्य, ध्वनि इत्यादि शामिल हो गए हैं । इसके मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। बैंगलोर व गोहाटी में दो क्षेत्रीय कार्यक्रम व देश भर में 35 क्षेत्रीय इकाईयां है।

4. फिल्म डिवीजन

सरकार का  फिल्म विभाग फिल्मस, वृतचित्र का जनता के मुताबिक उनकी भाषा में कार्यक्रम तैयार करता है जिसे एक फिल्म के माध्यम से आम जन तक पहुचाया जाता है। इस विभाग ने अपनी वैबसाईट तैयार की है इसे  फ़िल्म डिवीजन का नाम दिया गया है।

5. प्रकाशन विभाग

प्रकाशन विभाग पुस्तकें, एलबम, चित्र, सामाजिक प्रकाशन, जीवन परिचय लेख रूपक इत्यादि का सफल प्रकाशन करता है। रोजगार समाचार, समाचार पत्रिका, आजकल कुरूक्षेत्र योजना, भागीरथ, इंडियन एंड फोरन व्यू. बाल भारती इत्यादि पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जाता है। ये विभाग प्रधानमंत्री, राष्ट्पति के चुनिदा भाषणों को भी प्रकाशन करता है और प्रतिवर्ष 150 से अधिक पुस्तकें भी प्रकाशित करता है जिसके देशभर में 300 विक्रय एजेंट है जिनकी संख्या निरंतर बढ रही है। इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। मुम्बई, कलकत्ता, पटना, लखनऊ, हैदराबाद, तिरूवतनपुर में इसकी क्षेत्रीय इकाई स्थापित है।

6. गीत एवं नाटक विभाग

सरकार का सूचना प्रसार मंत्रालय गीत एवं नाटक विभाग मनोरंजक तरीके द्वारा लोक गीत, तमाशा, नाटक इत्यादि द्वारा सरकार की नीतियों को आम जन तक पहुंचाती है। इसमें नृत्य नाटय, लोक नृत्य, कठपुतली व अन्य परम्परागत साधनों का भी उपयोग किया जाता है। इस विभाग में दस हजार स अधिक कलाकार कार्य कर रहे हैं।

7. चित्र विभाग

फोटो विभाग हर कार्यक्रम की तरवीरे विभिन्न संगठनों को प्रेषित करता है । सरकार का यह विभाग फोटो प्रदर्शनी व समय--समय पर अन्य कार्य भी करता है।

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Process of Public Relations


जनसम्पर्क प्रक्रिया को निम्नलिखित घटकों द्वारा विधिवत रूप से पूर्ण किया जाता है जो इस प्रकार है- 

1. समस्या अर्थात लक्ष्य का निर्धारण ।
2. संदेश रचना।
3. संदेश प्रसार।
4. मूल्याकंन।

1. समस्या अर्थात उद्देश्यों की पहचान करके नीति निर्धारण करना ताकि लक्ष्य की प्राप्ती की जा सके।

2. संदेश रचना अर्थात संदेश द्वारा कार्यक्रम आकड़ों की पूरी-पूरी जानकारी प्राप्त करना जहां पर जनसम्पर्क अभियान चलाना है। इसके लिए उस क्षेत्र की भगौलिक स्थिति, संस्कृति, बोलचाल, शिक्षा, भाषा इत्यादि का ध्यान रखना अति महत्वपूर्ण है ताकि संदेश रचना क्षेत्र के लोगों को ध्यान में रखकर उसी वातावरण के अनुकूल तैयार की जाए ताकि अभियान सफल सिद्ध हो सके।

3. संदेश प्रचार अर्थात संदेश कहा और किस समय, किन माध्यमों द्वारा दिया गया यह एक अति महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसे जनसम्पर्क अधिकारी अपनी सूझ-बूझ के साथ तैयार करता है।

4. मूल्याकनं अर्थात जनसम्पर्क का अंतिम चरण मूल्याकंन है। मूल्याकंन में यह देखा जाता है कि कार्यक्रम संदेश माध्यम को वहां के लोगों ने कितना और कैसे पंसद किया। कितनों ने नापंसद किया और क्या कमी रही, क्या परिवर्तन करना चाहिए था।


Public Relations: Advertising


जनसम्पर्क और विज्ञापन दोनों ही जनता की रूचियों, विचारों, अभिव्यक्तियों, अभिवृदतियों को प्रभावित करते हैं ।
1. जनसम्पर्क में मुख्यतः जनकल्याण की भावना सर्वापरि होती है जबकि विज्ञापन का मूल उद्देश्य उत्पाद बिक्री से होता है जिसमें कल्याण की भावना नहीं होती।

2. जनसम्पर्क में सदैव धन की आवश्यकत नहीं पड़ती, ये नुक्कड़-नाटक समाज सेवक, समूह द्वारा भी चलाया जा सकता है जैसे कि पोलियो अभियान, दहेज प्रभा अभियान तथा शराब बंद अभियान, लेकिन विज्ञापन में बिकी बढ़ाने हेतु लुभावने माध्यम एवं कार्यक्रम की आवश्यकता पडती है जिसमें एक निर्धारित धन राशि खर्च की जाती है। और इसे इलैक्टानिक तथा प्रिंट मीडिया में दिया जाता है।

3. जनसम्पर्क अभियानों में स्वार्थ व व्यवसाय के तौर पर कार्य नहीं किया जाता इसमें जनता के हित को जन सेवा का भाव समझा जाता है जबकि विज्ञापन में मूल उददेश्य विज्ञापन के जरिए मूल्य वृद्धि बिक्री हेतु मात्र व्यवसाय करना होता है।

4. जनसम्पर्क में सेवा अभियान के तहत भिन्न-भिन्न योजनाएं बनाकर जनसाधारण को शिक्षित व जागृत किया जाता है। इसमें किसी भी विशेष व्यक्ति, प्रसिद्ध व्यक्ति, विशेष विषय वस्तु, सौंदर्य का सहारा नहीं लिया जाता। इसे साधारण से साधारण अभियान द्वारा ही पूरा कर लिया जाता है जबकि विज्ञापन में लुभावनी विषय वस्तु सौंदर्य न हो तब तक वो उत्पाद विज्ञापन उपभोक्ताओं को आकर्षित नहीं कर सकता।

अतः जनसम्पर्क एवं विज्ञापन अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं । एक का काम समाज कल्याण है जबकि दूसरे का काम लुभावने तरीके से धन अर्जित करना है।





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