Public Relation In Journalism and Mass Communication
PR In Journalism and Mass Communication |
जनसंपर्क की परिभाषा, महत्व, माध्यम और कार्य जनसंपर्क का अर्थ, परिभाषा, महत्त्व Public Relation Meaning, Definition | PR In Journalism and Mass Communication
जनसंपर्क का अर्थ Meaning of Public Relation
जन संपर्क को अंग्रेजी में public relation कहा जाता है। यह PR के नाम से भी जाना जाता है। इसमें जन का अर्थ होता है जनता और संपर्क का अर्थ होता है सम्बन्ध बनाना।साधारण अर्थों में जनता से संपर्क या सम्बन्ध बनाना, किसी विशेष उद्देश्य के लिए जनता के साथ तालमेल बिठाने को जनसंपर्क कहा जाता है।
जनसंपर्क की परिभाषा Definition of Public Relation
पब्लिक सोसायठी ऑफ अमेरिका के अनुसार, ''जन-सम्पर्क, प्रबन्धन की नीतियों व गतिविधियों के द्वारा जाहिर होता है और इसके द्वारा आम जनता के मन-मस्तिष्क में प्रबन्धन की छवि बेहतर बनती है।”
काउन्सिल ऑफ इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक रिलेशन्स (इंग्लैण्ड ) के अनुसार, “जन-सम्पर्क, किसी प्रतिष्ठान और उससे सम्बन्धित व्यक्तियों के मध्य आपसी तालमेल स्थापित करने के लिए किए गए सुनियोजित प्रयासों को कहा जाता है ।
वेबस्टर के अन्तराष्ट्रीय शब्दकोष के अनुसार, “जब कोई उद्योग, व्यवसाय, संघ, कॉर्पोरेशन, सरकार या कोई अन्य एजेन्सी, अपने ग्राहकों, हिस्सेदारों, कर्मचारियों व जन-साधारण के साथ सम्बन्ध बनाने का प्रयास करे तो इन प्रयासों को ही सम्मिलित रूप से जन-सम्पर्क कहते हैं।”
आर्थर आर रोलमैन के अनुसार, “जन-सम्पर्क एक ऐसी सेवा व कला है जिसे कम्पनी के व्यापारिक हितों व आवश्यकता के अनुसार ढाला जाता है।
सैम ब्लैक के अनुसार, “जन-सम्पर्क के अन्तर्गत सत्य, ज्ञान व जानकारी के आधार पर दो पक्षों के बीच परस्पर तालमेल स्थापित किया जाता है।”
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जन-सम्पर्क माध्यम
आधुनिक युग में जन-सम्पर्क के निम्नलिखित तीन माध्यम है।दृश्य माध्यम ऐसे माध्यम होते हैं, जिन्हें हम केवल देख सकते हैं। इसके अन्तर्गत मुद्रित विज्ञापन, मूक चलचित्र, प्रदर्शन, पोस्टर, पर्चे आदि आते है।
श्रव्य माध्यम ऐसे माध्यम होते हैं, जिनका आभास हम केवल सुनकर ही कर सकते हैं। रेडियो प्रसारण इसके अन्तर्गत आने वाला प्रमुख माध्यम है।
दृश्य-श्रव्य माध्यम ऐसे प्रचार माध्यम हैं जिन्हें हम देख भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं। इसके तहत टेलीविजन, सिनेमा, स्लाइड्स, इण्टरनेट आदि आते हैं।
PR In Journalism and Mass Communication
सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय
भारत सरकार ने अपनी नीतियों, कायक्रमों आदि के प्रचार-प्रसार के लिए अलग से एक मन्त्रालय ( सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय की स्थापना कर रखी है।
इस मन्त्रालय के तहत निम्नलिखित विभाग काम करते है-
1. आकाशवाणी
2. दूरदर्शन
3. प्रेस सूचना ब्यूरो
4. फिल्म प्रभाग
5. प्रकाशन विभाग
6. संगीत व नाट्य प्रभाग
7. विज्ञापन एवं प्रचार निदेशालय
8. क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय ।
जन- सम्पर्क का महत्त्व
किसी भी संगठन में जन-सम्पर्क के महत्त्व की अवहेलना नहीं की जा सकती है। संगठन के उद्देश्यों की सफलता जन-सम्पर्क कार्यक्रमोंपर ही निर्भर करती है।
सरकारी संगठन के अन्तर्गत जन-सम्पर्क का उद्देश्य सरकार की नीतियों, कार्यों, योजनाओं तथा सामाजिक विकास हेतु किए जाने वाले
प्रयासों की जानकारी जनता को प्रदान करना तथा सरकार के प्रति जनता में विश्वास उत्पन्न करना है।
दूसरी ओर कॉर्पोरेट सेक्टर अथवा गैर-सरकारी संगठन जिसमें प्रमुख रूप से उद्योग समूह आते हैं, का उद्देश्य अपनी उत्पादित वस्तु के प्रति जनता की रुचियों तथा अभिवृत्तियों का अध्ययन करना है। साथ
ही उत्पादित वस्तु की गुणवत्ता के प्रति जनता में आस्था व विश्वास की वृद्धि करने का प्रयास करना है। आम जनता के बीच अपनी छवि बनाने के लिए व्यावसायिक कम्पनियाँ जन-सम्पर्क का खूब इस्तेमाल करती है।
जनसंपर्क अधिकारी के कार्य
लेखन
जनता तक संगठन के उद्देश्यों के अनुरूप बात पहुँचाने के लिए सुन्दर भाषा में लेखन की आवश्यकता पड़ती है। विषय सामग्री लिखित एवं मौखिक दोनों ही रूपों में प्रभावी होनी चाहिए। मीडिया के लिए प्रेस विज्ञप्ति हो या पुस्तिकाओं, पैम्फलेट्स, जर्नल्स अथवा रेडियो, टेलीविजन और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम हों, सभी के लिए लेखन एक आवश्यक कर्म होता है।सम्पादन
लिखित विषय सामग्री का सम्पादन भी आवश्यक कार्य है। जनता के पास कोई भी
लिखित सामग्री किस रूप में पहुँचने जा रही है और उसका संगठन के उद्देश्य प्राप्ति में
सार्थक प्रभाव रहे, इस दृष्टि से जाँचना व परखना आवश्यक होता है। प्रत्येक जन-सम्पर्क अधिकारी को सम्पादन को विभिन्न आयामों की जानकारी होनी चाहिए और उसे सम्पादन में पूर्णतया पारंगत व निपुण होना चाहिए। समाचार-पत्र/पत्रिका, फोल्डर आदि किस रूप में लिखित सामग्री जनता के समक्ष पहुँच रही है, उसका सम्पादन करना परम आवश्यक है।
श्रेणीकरण
संगठन के जन-सम्पर्क उद्देश्य से उपयुक्त माध्यम का चयन कर जनता को सूचना
सामग्री उपलब्ध कराना श्रेणीकरण के अन्तर्गत आता है।
प्रस्तुतीकरण
जनसंपर्क में संगठन सम्बन्धित सूचनाओं का प्रस्तुतीकरण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। संगठन की जानकारी ओजस्वी एवं रोचक रूप में विशेष साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए, ताकि उपरोक्त जन-सम्पर्क का उद्देश्य पूरा हो सके।
भाषण
जनसंपर्क के अन्तर्गत एक महत्त्वपूर्ण दायित्व है कि जनता के सम्मुख संगठन के बारे में पर्याप्त सूचनाप्रद भाषण प्रस्तुत किए जाएँ। भाषण देने में प्रवीण वक्ताओं का चयन कर उन्हें पहले संगठन के उद्देश्यों की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करानी आवश्यक है।
जन-सम्पर्क और इण्टरनेट
इण्टरनेट के उपयोग के कारण जहाँ जन-सम्पर्क की प्रक्रिया अपेक्षाकृतसस्ती हो गई है वहीं इसकी वजह से समय भी कम लगता है। इण्टरनेट के द्वारा कम-से-कम समय में अधिक-से-अधिक लोगों तक अपनी बात प्रभावी ढंग से पहुँचाई जा सकती है। चुनाव प्रचार के लिए सामान्यत: सभी पार्टियाँ इण्टरनेट का जमकर प्रयोग कर रही हैं।
सभी दलों की इण्टरनेट पर अपनी वेबसाइटें हैं, जिन पर इन दलों के बारे में पूरा ब्यौरा है। इन साइटों पर पार्टी की नीति, रीति और चुनावी घोषणा पत्र तक का प्रदर्शन किया गया है। भारत जैसे विकासशील देश में जन-सम्पर्क की प्रक्रिया में इण्टरनेट का प्रयोग अभी भी काफी कम है जिसका कारण है, उनका इंटरनेट तक न पहुँच पाना।
जन-सम्पर्क और मोबाइल फोन
जन-सम्पर्क और प्रचार के लिए मोबाइल फोनों का खूब इस्तेमाल हो रहा है। मोबाइल फोन के जरिए जन-सम्पर्क कार्य बेहद सरल हो गया है और इसमे समय भी बहुत कम लगता है। पलभर में मोबाइल फोन के जरिए आप लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँच जाते हैं। अक्सर विभिन्न कम्पनियाँ और संस्थाएं अपनी बात लोगों तक पहुँचाने के लिए मोबाइल सन्देशों का प्रयोग करती है। मोबाइल फोन जन-सम्पर्क का बेहद सस्ता और कारगर माध्यम साबित हो रहा है, जिसका कारण है इसके द्वारा दोतरफा सम्पर्क। जबकि जनसभा , पोस्टर, बैनर आदि परम्परागत प्रचार माध्यमों में दो तरफा सम्पर्क की सुविधा नहीं होती थी।स्मरणीय तथ्य
◆ 1776 ई. में पहली बार विलियम वोल्ट्स ने जनता को सूचनाएँ उपलब्ध कराने के पक्ष में माँग उठाई तो ब्रिटिश सरकार ने उन्हें वापस इंग्लैण्ड भेज दिया।
◆ जनवरी, 1780 को जेम्स हिक्की ने भारत का पहला समाचार-पत्र प्रकाशित किया।
◆ पीटर रीड ने इण्डिया गजट का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
◆ मद्रास के गवर्नर टॉस मुनरो प्रेस की आजादी के प्रबल समर्थक थे।
◆ 1818 ई. में लॉर्ड हेस्टिंग्स ने प्रेस के लिए आचार संहिता बनाई।
◆ आदिगुरु शंकराचार्य को प्रोपेगण्डा का प्राचीन पितामह कहा जाता है।
◆ मुगल शासकों ने वाक्यानवीस (सूचनादाता) नियुक्त किया जो राज्यों के समाचारों से शासक को परिचित कराते रहते थे।
◆ इंलैण्ड क कॉफी हाउस नामक संस्था ने भी प्रोपेगण्डा की कला के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
◆ जन-सम्पर्क शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अमेरिकी राष्ट्रपति ने 1860 ई. में किया था।
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