टेलीविजन निर्माण तकनीक Television Production Technique
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टेलीविजन निर्माण तकनीक Television Production Technique
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टेलीविजन निर्माण तकनीक Television Production Technique journalism and mass communication notes in hindi
Cue and Command
फिल्म थिएटर तथा टेलीविजन के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों के निर्माण के दौरान बहुत सारे तकनीकी एवं गैर-तकनीकी शब्दों का उपयोग किया जाता है, जिनमें से क्यू तथा कमाण्ड भी हैं, जो प्राय: किसी कार्यक्रम के निर्माण के दौरान सर्वाधिक प्रयुक्त किया जाता है। “क्यू" (Cue) एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका शाब्दिक हिन्दी अर्थ होता है- 'सँंकेत' अथवा “मनोभाव” इसका उपयोग किसी व्यक्ति को किसी कार्य हेतु उत्प्रेरित करने के लिए किया जाता है, जैसे कि- किसी अभिनेता/ अभिनेत्री को अभिनय के विभिन्न पहलुओं को समझाने, प्रकाश अथवा ध्वनि प्रारूप में परिवर्तन करने इत्यादि के सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश देने के लिए किया जाता है।इसी तरह से “कमाण्ड" (Command) भी एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका शाब्दिक हिन्दी अर्थ होता है- निर्देश। वास्तव में, “क्यू तथा कमाण्ड" इन दोनों शब्दों का उपयोग स्टेज मैनेजर द्वारा शाब्दिक रूप से यूनिट सदस्यों को यह बताने के लिए किया जाता है कि किसी कार्य को किस तरह से और कितने चरणों के अन्तर्गत पूरा किया जाना है।
तकनीकी रूप से मुख्यतः तीन प्रकार के संकेतों का उपयोग किया जाता है-
वार्निंग Warning
किसी संकेत से ठीक पूर्व में वार्निंग दी जाती है और इसका उपयोग दल के सदस्यों को कार्य के लिए तैयार रहने का निर्देश देने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि सेट पर सारी व्यवस्थाएँ अप-टू-मार्क हैं।स्टैण्डबाई Standby
क्यू से कुछ सेकण्ड पहले दल के सदस्यों को स्टैण्डबाई संकेत देते हुए सेट पर सारी व्यवस्थाओं के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया जाता है, ताकि बिना किसी बाधा अथवा देरी के कार्य को आगे बढ़ाया जा सके।
गो Go
'गो' अर्थात् यह संकेत कि कार्य को प्रारम्भ किया जाए, यह संकेत पाते ही दल के सदस्य कार्य करना शुरू कर देते हैं।क्यू-शीट प्राय: स्टेज मैनेजर अथवा डिजाइन डिपार्टमेण्ट द्वारा निर्मित पेपर अथवा शीट जिसमें शूटिंग के संचालन, समय, क्रम-व्यवस्था, तीव्रता (प्रकाश हेतु) तथा प्रबलता ( ध्वनि हेतु), आदि से सम्बन्धित सूचनाएं शामिल होती है। बोर्ड ऑपरेटर्स , रनिंग तथा डेक दल के सदस्यों को अपने विभाग के साथ समन्वय बनाए रखने के लिए क्यू-शीट की एक-एक प्रति दे दी जाती है। स्टेज मैनेजर के पास सभी संकेतों की एक मास्टर-सूची होती है, जिसकी सहायता से उसे दल की समस्त कार्यप्रणाली का निरीक्षण करने का मौका मिलता है।
कार्यक्रम की तैयारी के मुख्य बिन्दु
इसी दृष्टिकोण को लेकर टेलीविजन कार्यक्रमों को निम्न प्रकार से तैयार करना चाहिए1. दृश्य व कथ्य को स्पष्ट रूप में दर्शाएँ
2. क्योंकि टेलीविजन आम से खास वर्ग तक अपनी पहुँच रखता है, इसलिए उसमें भाषा का सरलतम रूप अपनाएँ
3. जन-मानस में रचे-बसे शब्दों व सन्दर्भों के इस्तेमाल को प्राथमिकता दें
4. नवीनता, रोचकता व सामयिकता के तत्त्वों का पुट दिया जाए, ताकि दर्शकों को कार्यक्रम से जुड़ाव की भावना महसूस हो
5. राष्ट्रीय/सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा हो व देश की सम्प्रभुतता पर कोई आंच न आए, इस प्रकार से कार्यक्रम तैयार किया जाए
6. विभिन्न नियमनकारी कानूनों, वर्जनाओं व गोपनीयता का खण्डन न हो ऐसा कार्यक्रम बनाते समय ध्यान रखा जाए
7. दर्शकों की रुचि व आवश्यकता के बीच सेतु स्थापित किया जाए
8. जिस वर्ग की आवश्यकता के लिए कार्यक्रम बनाया जा रहा है, उस वर्ग की मूल अभिवृत्ति का ध्यान रखकर कार्यक्रम तैयार करना चाहिए
9. प्रोग्राम किस वर्ग के लिए बनाया जा रहा है
10. जनता का रुझान व आवश्यकताएँ
11. बजट का होना
12. घटना के तत्त्व क्या, कब, कहाँ, कैसे, क्यों, किस पर, इन पर ध्यान रखकर कार्यक्रम बनाएं
13. मनोवैज्ञानिक व समाज विज्ञान के सूत्र इस्तेमाल करें
14. योजना, विवरणों, तथ्यों को साथ लेकर चलें
15. तार्किकता व दृश्यता का सम्बन्ध सटीक हो
16. परिकल्पना व प्रस्तुति में आए बदलाव को ध्यान में रखें
टेलीविजन एक दृश्य माध्यम है। नाटकों की तरह संवादों के सहारे इसकी कथा नहीं चलती है, फिर भी फिल्म व टेलीविजन में एक बुनियादी अन्तर है कि टेलीविजन में आप कैमरे का उस सीमा तक इस्तेमाल नहीं कर सकते, जितना कि फिल्मों में होता है, अर्थात्
कुछ शॉट ऐसे होते हैं, जो टेलीविजन के लिए उपयुक्त समझे जाते हैं-
1. मिड शॉट,
2. ओवर शोल्डर शॉट,
3. क्लोज अप,
4. टू शॉट आदि।
Television Production Technique Notes In Hindi
स्मरणीय तथ्य Memorable Facts
● किसी भी प्रोग्राम या फिल्म की शूटिंग के मौके पर जब कोई भी कार्य कैमरे या फिल्म पर अंकित करने के लिए होता है, तो वह एक्शन कहलाता है।
● जो कार्यक्रम 'स्क्रिप्ट' तैयार किए बिना ही सीधे प्रसारित किए जाते हैं, वे एड-लिब कहलाते हैं।
● AFTRA अमेरिका का ऐसा संगठन है, जिसके सदस्य केवल रेडियो और टेलीविजन से जुड़े कलाकार ही होते हैं।
● किसी कार्यक्रम या विज्ञापन की रिकॉर्डिंग एयरचेक कहलाती है।
● प्रसारण के लिए एक निश्चित फ्रीक्वेन्सी का आवण्टन किया जाता है। यह आवण्टन केन्द्रीय संचार विभाग करता है। यह कार्यवाही एलोकेशन कहलाती है।
● रेडियो या टेलीविजन पर समाचारों, मौसम सम्बन्धी सूचनाओं अथवा अन्य कार्यक्रमों की उदघोषणा या उन्हें पढ़कर सुनाने वाले (वाचक) को एंकर कहा जाता है।
● कैमरे पर जब किसी दृश्य को एक विशेष कोण के साथ दर्ज किया जाता है, तो वह एंगल शॉट कहलाता है।
●ANI (एक वीडियो समाचार सेवा) इसका पूरा नाम एशियन न्यूज इण्टरनेशनल है। यह ऐसी भारतीय समाचार सेवा है, जो वीडियो के रूप में खबरें उपलब्ध कराती है।
● एनीमेशन एक ऐसी तकनीक है, जो निर्जीव या निष्क्रिय वस्तुओं को सक्रिय या जीवन्त रूप में बदल देती है। टेलीविजन और फिल्मों में यह तकनीक विशेष रूप से उपयोगी है।
● विज्ञापन, प्रचारात्मक सामग्री और प्रसारण स्टेशन की जानकारी देने वाले व्यक्ति को एनाउन्सर कहते हैं।
● पूर्व में प्रसारित सामग्री की वह फाइल, जिसका उपयोग किसी समाचार आदि की पृष्ठभूमि की जानकारी जोड़ने या कतरने आदि दिखाने के लिए किया जाता है, जिस स्थान पर ये फाइलें सुरक्षित रखी जाती हैं, उसको भी आर्काइव कहते हैं।
● टेलीविजन के कार्यक्रम या व्यावसायिक प्रस्तुति को देखने वाले व्यक्तियों की संख्या सम्बन्धी जानकारी को ऑडियन्स प्रोफाइल कहते हैं।
● ऑटो व्यू टेलीविजन पर समाचार सुना रहे व्यक्ति को कैमरे की ओर देखते हुए कॉपी को पढ़ने की सुविधा प्रदान करने वाला उपकरण है। इस उपकरण का एक ओर नाम एस्टन भी है।
● प्रसारण की ऐसी स्थिति जब दो-या-दो से अधिक कॉमर्शियल कार्यक्रमों का बिना किसी अन्तराल के प्रसारण किया जाता है। बैक-टू- बैक में ब्रेक नहीं दिया जाता है, उसे पिगी ब्रेक कहते हैं।
● राष्ट्रीय टेलीविजन या रेडियो नेटवर्क जिसकी दर्शक या श्रोताओं के विशाल समूह तक आसान पहुँच हो, बेसिक नेटवर्क कहलाता है।
● कार्यक्रम के प्रसारण से पहले जब उसके प्रायोजक या उस उत्पाद की जानकारियों के बारे में विवरण की घोषणा की जाती है, तो उसे बिल बोर्ड कहते हैं।
● टेलीविजन से सम्बन्धित किसी भी कार्यक्रम या उस पर प्रसारित होने वाले कॉमर्शियल प्रोग्राम के छोटे-से भाग को बिट कहा जाता है।
● जब किसी दृश्य को उसके वास्तविक स्वरूप से कहीं बड़ा आकार दे दिया जाता है, तो उसे ब्लोअप कहते हैं।
● रेडियो या टेलीविजन के कार्यक्रम में जब दो अलग-अलग दृश्यों को संगीत या किसी अन्य प्रकार की ध्वनि के जरिए जोड़ा जाता है, उसे ब्रिज कहते हैं।
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